श्री गंगा दशहरा महापर्व
हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का पर्व बेहद शुभ और पवित्र माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति गंगा नदी में स्नान करता है, उसे सभी पापों से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही शुभ फलों की प्राप्ति भी होतीहै। गंगा दशहरा के दिन कई शुभ योग का निर्माण भी हो रहा है। जिनमें विधिवत रूप से पूजा करने से व्यक्ति कप सौभाग्य की प्राप्ति अवश्य होगी एसा हमारा परम विश्वास है । अगर आप भी गंगा दशहरा के दिन व्रत रख रहे हैं, तो आइए इस लेख में विस्तार से व्रत कथा के बारे में जानते हैं, जिससे व्यक्ति को शुभ परिणाम की प्राप्ति हो ।
पौराणिक कथा के अनुसार, गंगा दशहरा के दिन माँ भगवती गंगा की पूजा की जाती है। इस दिन मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। इसी दिन भगवान शिव की जटाओं से निकलकर मां गंगा धरती पर आई थीं। राजा भगीरथ के परम तप से जब ब्रह्म देव बेहद प्रसन्न हुए और तब उन्होंने रजा भगीरथ से मनचाहा वरदान मांगने के लिए कहा। भागीरथ महाराज ने ब्रह्मदेव से वरदान में मां गंगा को धरती पर लाने के लिए कहा। इसपर ब्रह्मदेव ने कहा कि गंगा पृथ्वी पर तो आ जाएंगी। लेकिन क्या पृथ्वी गंगा का वेग और उनका भार संभाल सकेंगी। इसके बाद श्री गंगा के वेग और उनका भार संभालने के लिए भगवान शिव से अनुग्रह किया गया।
भगवान शिव से अनुग्रह के बाद ही ब्रह्मदेव के कमंडल से निकलकर मां श्री भगवती गंगा ने भगवान शिव की जटाओं से होते हुए धरती पर अवतरण किया। भागीरथ के नाम पर ही माँ गंगा का एक नाम भागीरथी पड़ा था। श्री गंगा के भगवान शिव की चोटी से निकलकर हिमालय से होते हुए मैदान की तरफ बहने पर राजा भगीरथ बेहद प्रसन्न हुए और माँ श्री गंगा जी द्वारा राजा भागीरथ के सभी पूर्वजों को अपने जल में प्रवाहित करने के उपरान्त मोक्ष दिलाया।
श्री गंगा मैया की जय !!